पटना/नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों का गहराई से किया गया विश्लेषण इस बात की पुष्टि करता है कि प्रशांत किशोर की नवगठित पार्टी जन सुराज (Jan Suraaj) राज्य की राजनीति में एक नए विघटनकारी शक्ति (Disruptive Force) के रूप में उभरी है। भले ही जन सुराज अपना खाता खोलने में विफल रही, लेकिन उसके उम्मीदवारों को मिले वोटों की संख्या ने कम से कम 33 सीटों पर सीधे चुनावी समीकरण बदल दिए, जिसका सबसे बड़ा खामियाजा महागठबंधन (RJD और कांग्रेस) को भुगतना पड़ा।
NDA की ‘अप्रत्यक्ष जीत’: 18 सीटों पर निर्णायक प्रभाव
डेटा विश्लेषण के अनुसार, जन सुराज उन 33 सीटों पर निर्णायक थी जहाँ उसके वोटों की संख्या विजेता और उपविजेता के बीच जीत के अंतर से अधिक थी। इनमें से 18 सीटें NDA (बीजेपी या जेडीयू) ने जीतीं, जबकि महागठबंधन (RJD/कांग्रेस) इन सीटों पर बहुत कम अंतर से पीछे रह गया।
इन 18 सीटों पर मिले वोटिंग पैटर्न को देखें तो, यह स्पष्ट है कि जन सुराज के कारण सत्ता विरोधी वोट बँट गए, जिसका सीधा लाभ NDA को मिला।
गोपालगंज (Gopalganj): बीजेपी ने यह सीट RJD से मात्र 4,500 वोटों के अंतर से जीती। लेकिन जन सुराज को यहाँ 5,800 वोट मिले। यह स्पष्ट है कि यदि जन सुराज मैदान में नहीं होती, तो ये अतिरिक्त वोट RJD की जीत सुनिश्चित कर सकते थे।
हाजीपुर (Hajipur): बीजेपी को 6,100 वोटों के अंतर से जीत मिली, जबकि जन सुराज ने यहाँ 7,500 वोट हासिल किए।
बरौली (Barauli): JDU ने यह सीट केवल 2,900 वोटों के अंतर से जीती, जबकि जन सुराज को 4,100 वोट मिले।
यह पैटर्न तरैया, पीरपैंती, शिवहर और बेनीपुर जैसी सीटों पर भी दोहराया गया, जहाँ जन सुराज के वोट, जीत के अंतर से लगभग 1,000 से 2,000 वोट अधिक थे। यदि जन सुराज के वोट महागठबंधन के खाते में जाते, तो NDA की 18 सीटें महागठबंधन की झोली में जा सकती थीं, जिससे चुनावी टैली पूरी तरह से बदल जाती।



