बेंगलुरु: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 16 नवंबर 2025 को बेंगलुरु में ‘विजन इंडिया P.D.A. (प्लान, डेवलपमेंट, एसेंट)’ अभियान के सुपर सेशन को संबोधित किया. देश में हो रही चर्चाओं पर बेबाकी से अपनी बात रखते हुए, उन्होंने एक बड़ा बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि देश में इस समय “हिंदुस्तानियत का आपातकाल” चल रहा है.
बेंगलुरु को चुनने का कारण: टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप
अखिलेश यादव ने इस अभियान की शुरुआत के लिए बेंगलुरु को चुनने का कारण भी बताया। उन्होंने कहा कि बेंगलुरु को भारत की सिलिकॉन वैली कहा जाता है और यह टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप्स का सबसे बड़ा केंद्र है, इसलिए यहीं से इस विजन की शुरुआत करना सबसे सही था.
‘हिंदुस्तानियत’ पर संकट और समावेशी विजन
पूर्व मुख्यमंत्री ने ‘हिंदुस्तानियत के आपातकाल’ शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि भारत की पहचान हमेशा से ‘अनेकता में एकता’ (Unity in Diversity) रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि एक खास ‘एक-रंगी विचारधारा’ को देश पर थोपा जा रहा है, जिसने सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ दिया है. उन्होंने कहा कि आज वे बातें घरों तक में चर्चा का विषय बन गई हैं, जिन पर कुछ साल पहले लोग कभी बात नहीं करते थे, और यही ‘हिंदुस्तानियत’ पर सबसे बड़ा संकट है.
उन्होंने बताया कि ‘विजन इंडिया’ का मकसद है कि देश को एक साथ लेकर चला जाए और यह ‘पॉजिटिव, प्रोग्रेसिव, प्रैगमेटिक और प्रो-पीपल इन्क्लूसिव’ हो.
पॉजिटिव (सकारात्मक): नकारात्मकता का मुकाबला करने के लिए.
प्रोग्रेसिव (प्रगतिशील): रूढ़िवादी सोच से दूर ले जाना और भेदभाव को खत्म कर, सबको बराबर का मौका देना.
इन्क्लूसिव (समावेशी): समाज के आखिरी व्यक्ति को साथ लेकर चलना, जिसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, महिलाएं, किसान और बेरोजगार युवा शामिल हैं.
हर समस्या का समाधान एक स्टार्टअप: रोजगार पर चिंता
यादव ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि उनके विजन में स्टार्टअप्स की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि “समस्याएं जितनी ज्यादा होंगी, समाधान उतने ही ज्यादा होंगे”. उन्होंने जोर देकर कहा, “हर सॉल्यूशन दरअसल एक स्टार्टअप है”.
हालांकि, उन्होंने युवाओं के बीच बढ़ती बेरोजगारी पर चिंता भी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में युवा आज “डिलीवरी बॉयज” बन गए हैं, और यह सम्मानजनक नौकरी नहीं है, इसलिए स्टार्टअप्स और रोजगार सृजन पर ध्यान देना जरूरी है.
किसानों और टियर-2, टियर-3 शहरों पर फोकस
अखिलेश यादव ने जोर दिया कि एग्रीकल्चर सेक्टर में स्टार्टअप्स के लिए अपार संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि 60-70% आबादी किसानी से जुड़ी है, इसलिए एग्री-इकॉनमी में प्रोसेसिंग, मार्केटिंग एक्सेस और रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देने की जरूरत है. पूर्व चीफ सेक्रेटरी आलोक रंजन ने भी उनके कार्यकाल के दौरान कृषि मंडियों के आधुनिकीकरण और तिल मिशन (Til Mission) जैसे प्रयासों का जिक्र किया.
इसके अलावा, टायर-1 शहरों तक सीमित अवसरों पर बात करते हुए, उन्होंने कहा कि युवाओं के टैलेंट को प्लेटफॉर्म देने के लिए टियर-2 और टियर-3 शहरों तक इकोसिस्टम ले जाने की आवश्यकता है.
युवाओं के लिए सोशल सिक्योरिटी का विचार
अखिलेश यादव ने स्टार्टअप्स शुरू करने वाले युवाओं के लिए रिस्क फैक्टर को कवर करने वाली पॉलिसी और सोशल सिक्योरिटी प्लेटफॉर्म बनाने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि इससे युवाओं को अपने पैशन को फॉलो करने की हिम्मत मिलेगी.
मुख्यमंत्री कार्यकाल के बड़े फैसले
अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल को याद करते हुए, अखिलेश यादव ने कुछ उपलब्धियां भी गिनाईं:
लैपटॉप वितरण: 18 लाख बच्चों को मुफ्त लैपटॉप देना एक दूरदर्शी फैसला था, जिसने डिजिटल डिवाइड को कम किया और युवाओं को हार्वर्ड जैसी यूनिवर्सिटी तक पहुंचने में मदद की.
स्टार्टअप पॉलिसी: 2016 में देश की पहली स्टार्टअप पॉलिसी और इसके लिए बजट आवंटन उत्तर प्रदेश में किया गया.
इंडस्ट्रियल निवेश: सैमसंग (Samsung) के 15,000 करोड़ रुपये के बड़े निवेश को उत्तर प्रदेश में लाना और इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना.
कन्नौज परफ्यूमरी: कन्नौज में परफ्यूमरी पार्क का निर्माण और लोकल कारीगरों को अंतरराष्ट्रीय कंपनियों (जैसे हरमिस) से जोड़कर कौशल विकास पर काम करना.
उन्होंने ‘विकसित भारत’ की तुलना में ‘विजन इंडिया’ को अधिक समावेशी बताया. उन्होंने कहा कि विकसित भारत विभाजन की बात करता है, जबकि उनका विजन सबका साथ लेकर चलने और गरीबों की प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने पर केंद्रित है.


