बिहार में बीजेपी से ज्यादा वोट पाकर भी पिछड़ गई आरजेडी !

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के अंतिम परिणाम घोषित हो चुके हैं। इस बार भी चुनावी गणित ने एक चौंकाने वाला तथ्य सामने रखा है। इस बार भले ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) गठबंधन ने सरकार बनाने के लिए आवश्यक सीटें हासिल कर ली हों, लेकिन अकेले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने बीजेपी से अधिक वोट प्रतिशत (Total Vote Share) प्राप्त किया है।

राज्य के सबसे बड़े दल, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने बीजेपी से अधिक वोट प्रतिशत प्राप्त किया, फिर भी वह सीटों की संख्या (Seat Tally) में पिछड़ गई। यह चुनावी गणित का वह विरोधाभास है जो बताता है कि लोकतंत्र में सिर्फ अधिक वोट पाने से ही सफलता नहीं मिलती, बल्कि वोटों का कुशल वितरण (Efficient Distribution) भी महत्वपूर्ण होता है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों से स्पष्ट है कि RJD को वोट शेयर में बढ़त मिली (23%, लगभग 1.15 करोड़ वोट), लेकिन सीटें केवल 25 रहीं। इसके विपरीत, NDA के प्रमुख दलों BJP (89 सीटें, 20.08% वोट) और JD(U) (85 सीटें, 19.25% वोट) ने कुशल वोट वितरण से भारी सफलता हासिल की। मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  1. वोटों की सघनता (Vote Concentration): RJD ने मुस्लिम-यादव (M-Y) बहुल क्षेत्रों में विशाल अंतर से जीत हासिल की। ECI डेटा और विश्लेषण के अनुसार, कई सीटों पर RJD का वोट शेयर 50-70% के बीच रहा, लेकिन अतिरिक्त वोट ‘बर्बाद’ हो गए क्योंकि एक सीट के लिए न्यूनतम बहुमत ही पर्याप्त होता है। उदाहरण:
  • मनेर: RJD ने 22,752 वोटों के मार्जिन से जीत हासिल की (लगभग 55% वोट शेयर), जहां अतिरिक्त 20-25% वोट निष्प्रभावी रहे।
  • परू: 16,642 वोटों का मार्जिन (लगभग 60% वोट), लेकिन अतिरिक्त वोटों ने अन्य सीटों पर फैलाव की कमी दिखाई।
  • मठनी: 16,264 वोटों का मार्जिन (M-Y बहुल क्षेत्र में 65%+ वोट शेयर)। कुल मिलाकर, RJD के 23% वोटों में से करीब 10-12% ‘सघन’ क्षेत्रों में बर्बाद हुए, जिससे कुल 25 सीटें ही मिल सकीं। यदि वोट अधिक समान रूप से वितरित होते, तो 40-50 सीटें संभव थीं।
  1. BJP का कुशल वितरण: BJP ने अपनी 89 सीटों में से अधिकांश को बहुत मामूली अंतर से जीता, जो न्यूनतम आवश्यक वोटों के सटीक उपयोग को दर्शाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, BJP की 10 सीटें 2,000 वोटों से कम मार्जिन पर जीती गईं (जैसे 1,000-3,000 वोटों के अंतर)। JD(U) ने भी इसी रणनीति से 9 ऐसी सीटें जीतीं। इससे कम वोट शेयर (कुल NDA ~45%) में भी 174+ सीटें आईं। उदाहरण:
  • कई सीटों पर BJP/JD(U) ने 45-48% वोट से जीत हासिल की, बिना अतिरिक्त ‘बर्बादी’ के। यह ‘एफिशिएंट वोटिंग’ का क्लासिक उदाहरण है, जहां वोट हर संभावित सीट पर फैले।
  1. तीसरे मोर्चे का प्रभाव: AIMIM और अन्य छोटे दलों (जैसे BSP, निर्दलीय) ने मुस्लिम बहुल सीटों पर 2,000-5,000 वोट काटे, जिससे RJD की हार हो गई। AIMIM को कुल 5 सीटें और 1.85% वोट मिले, लेकिन सीमांचल जैसे क्षेत्रों में इसका असर गहरा पड़ा। विश्लेषण के अनुसार:
  • RJD की लगभग 15-20 हारें मामूली अंतर (1,000-5,000 वोट) से हुईं, जहां AIMIM को 3-4% वोट मिले।
  • उदाहरण: सीमांचल की कुछ सीटों पर AIMIM के 2,500-4,000 वोटों ने RJD को 1-2% से पीछे धकेल दिया। (AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने वोट स्प्लिटिंग के आरोपों को खारिज किया, लेकिन डेटा इसके विपरीत इशारा करता है।) इससे RJD का 23% वोट शेयर जीत में बदलने की रणनीति असफल रही।

आंकड़ों में विरोधाभास (The Data Paradox)

अंतिम चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, दोनों प्रमुख दलों का वोट प्रतिशत निम्नलिखित रहा:

Source: ECI

RJD ने BJP की तुलना में लगभग 2.02 प्रतिशत अधिक वोट प्राप्त किए, लेकिन सीटों की संख्या में वह बहुत सीटों से पीछे रह गई।

इस विरोधाभास के पीछे का गणित

यह स्थिति मुख्य रूप से वोटों के वितरण पैटर्न (Pattern of Vote Distribution) के कारण उत्पन्न होती है, जिसे चुनावी विश्लेषण में ‘फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट’ (First-Past-The-Post – FPTP) प्रणाली की खामी भी माना जाता है।

1. वोटों की सघनता और बर्बादी (Vote Concentration and Wastage):

  • RJD के लिए: RJD ने अपने गढ़ों (Strongholds) में बहुत बड़े अंतर से जीत दर्ज की है। उदाहरण के लिए, कई सीटों पर RJD को 70% तक वोट मिले हैं। इसका मतलब है कि अधिक वोट पाने के बाद भी बडी संख्‍या में वोट ‘बर्बाद’ (Wasted) हो गए, क्योंकि उनका सीट जीतने में कोई अतिरिक्त लाभ नहीं मिला।

  • BJP के लिए: BJP ने कई सीटों पर कम अंतर से जीत दर्ज की। कम अंतर से जीतने का मतलब है कि उसके वोट सघन (Highly Concentrated) होने के बजाय अधिक सीटों पर कुशलतापूर्वक वितरित (Efficiently Distributed) थे।

3. छोटे दलों का वोट विभाजन (Vote Splitting by Smaller Parties):

जिन सीटों पर RJD मामूली अंतर से हारी, वहाँ तीसरे या चौथे नंबर के उम्मीदवारों (जैसे, AIMIM, LJP-R या निर्दलीय) ने RJD के बेस वोट बैंक में सेंध लगाई। यदि RJD को मिले 2.02 % अतिरिक्त वोट हारने वाली 20 से 25 सीटों पर कुशलता से इस्तेमाल होते, तो परिणाम पलट सकते थे।

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